पोस्टिंगनामा
- 37 Posts
- 27 Comments
पुरानी डायरी के
पीले पड चुके
पन्नों पर
मोरपंख के साथ
सोती हुई कविता
कभी-कभी बतियाती है
दूसरी कविता से
जो सूखे गुलाब की
पंखुड़ियों पर
तुम्हारी उंगलियो के
स्पर्श से
लिखी गयी थी
पन्ने खुलने पर
पुनः
जाग जाता है वो स्पर्श
बैचैन होता है मन
काश..!
संवेदनाओ का आवेग
तोड़ पाता
तुम्हारे अहं की दीवार को..!
Read Comments