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…ताकि सनद रहे..!

पोस्टिंगनामा
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आज कि जन-सुनवाई में दो बुर्कानशीं औरतें एक मौलवी साहेब के साथ दाखिल हुई। दोनों औरतें माँ बेटी थी साथ में तीन साढ़े तीन साल की एक बच्ची भी..।
मैंने आने का सबब पूंछा तो रोने लगीं..।
उन्हें रोता देखकर साथ आयी बच्ची भी रोने लगी.।
मैंने उन्हें ढाढस बंधाया फिर आने का कारण पूछा तो बुर्के की आड़ में माँ बोली-
“ये मेरी बेटी है ..। चार साल पहले हमने इसका निकाह जिस लडके से पढ़वाया था वो कारोबार के सिलसिले में सऊदी अरब में रहता है।साल छः महीने में दस पंद्रह रोज के लिए आता है..”
“अच्छा ..! ” मैंने कहा साथ ही अपनी पृच्छा भी जाहिर की-
“लेकिन निकाह के समय तो आया था न इसका शौहर..?”
“जी सर..! निकाह पढ़ने तो आया था ..तभी तीन महीने रुका भी था…फिर कारोबार के सिलसिले में वापिस लौट गया…दूसरी बार जब लौटा तो इसकी गोद में बेटी थी….आकर अपनी बेटी को दुलारा भी…लेकिन इस बार जब आया तो कुछ बदला बदला सा था..” उसने बताया।
“क्या बदला सा था..?”मैंने पूंछा।
बुर्का नशीं माँ ने कहा-“इस बार जब लौटकर सऊदिया गया तो एक रोज मुझे फोन किया और तलाक तलाक तलाक बोला..” मैंने हड़बड़ा कर फोन काट दिया ।
“अरे…! मैंने आश्चर्य से आगे पूंछा “फिर क्या हुआ..?”
“फिर क्या होना है सर..दो दिन बाद 15 अप्रैल को पास के गांव की एक दुसरी लड़की से निकाह करने वाला है..”उसने रोकर बताया।
“अरे इस मामले में तो बीबी ने शौहर के मुह से निकले “तलाक तलाक तलाक के शब्द सुने भी नहीं ना..! फोन तो सास के पास आया था ना..?” मैने साथ आये मौलवी साहेब से पूंछा।
“जी हाँ …! वही तो मेरा कहना है..हुजूर..” मौलवी साहेब बोले..
“तो फिर ..आप दीनी इन्सान है..आपको मालुम है है कि यह पूरी तरह आपका आपसी मामला है आप ही बताइये ..इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ?..” मैंने फिर पूंछा।
वो बोले -“जब हमने उसे फोन करके आगाह किया कि इस तरह तो तलाक पूरा ही नहीं हुआ तो उसने बड़े मुफ़्ती साहेब के यहाँ फटबा डाल दिया है..अब कहता है की देखें अब कौन रोकता है मेरा नया निकाह..”
मैंने मामले की गंभीरता को समझा। साथ लाये उनके कागज और फतबा और उसके अनुवाद को पढ़ा।
फतबे की कॉपी आपके साथ भी साझा कर रहा हूँ ..! फिलहाल स्थानीय ठाणे को फोन करके उस नए परिवार के सदस्यों को तलब किया है जो 15 अप्रैल को अपनी बेटी का निकाह उस सउदिया वाले से करने वाले हैं..!
है ना बिलकुल ताजा तरीन सामयिक घटनाक्रम…!
आगे 15 को क्या हुआ फिर बताऊंगा…!

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